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॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरीचक्रराज स्तोत्रं ॥

This classification highlights her benevolent and nurturing facets, contrasting Using the intense and moderate-fierce natured goddesses inside the group.

देयान्मे शुभवस्त्रा करचलवलया वल्लकीं वादयन्ती ॥१॥

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam

पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥

She could be the one particular having Intense attractiveness and possessing electrical power of delighting the senses. Enjoyable intellectual and emotional admiration from the 3 worlds of Akash, Patal and Dharti.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी get more info नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

श्रीं‍मन्त्रार्थस्वरूपा श्रितजनदुरितध्वान्तहन्त्री शरण्या

The title “Tripura” implies the 3 worlds, along with the word “Sundari” indicates one of the most lovely woman. The title with the Goddess basically means by far the most lovely lady during the 3 worlds.

The philosophical dimensions of Tripura Sundari lengthen past her physical attributes. She signifies the transformative power of magnificence, that may lead the devotee through the darkness of ignorance to The sunshine of data and enlightenment.

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

पञ्चब्रह्ममयीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥५॥

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